बाल कृष्ण शर्मा नवीन का स्मरणीय संकेत
पूरा नाम | बालकृष्ण शर्मा नवीन |
उपनाम | ‘नवीन’ |
जन्म तिथि | 8 दिसंबर 1897 |
जन्म स्थान | गाँव भौंरा, तहसील शाजापुर, जिला उज्जैन, मध्य प्रदेश (भारत) |
आयु | 62 वर्ष |
पिता का नाम | श्री जमनादास शर्मा |
माता का नाम | श्रीमती राधाबाई जी |
शिक्षा | स्नातक |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | • माधव कॉलेज (उज्जैन), • क्राइस्ट चर्च कॉलेज (कानपुर) |
पेशा | • कवि • गद्यकार • स्वतंत्रता कार्यकर्ता • राजनीतिज्ञ • पत्रकार |
प्रमुख रचनाएँ | • रश्मिरेखा • अपलक • कुमकुम • क्वासि • विनोबा स्तवन • उर्मिला आदि। |
भाषा | • ब्रजभाषा • खड़ीबोली • संस्कृत |
शैली | • राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना • ध्वनि और लय का सौंदर्य • राष्ट्रभक्ति और जोशपूर्ण काव्य • ओजपूर्ण भाषा और शब्दावली |
धर्म | हिन्दू |
पुरस्कार | पद्म भूषण |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु तिथि | 29 अप्रैल 1960 |
मृत्यु स्थान | कानपुर, उत्तर प्रदेश (भारत) |
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जीवन परिचय – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (Balkrishna Sharma ‘Naveen’)
बालकृष्ण शर्मा नवीन, एक प्रतिष्ठित कवि, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार, का जन्म 8 दिसंबर, 1897 को भारत के मध्य प्रदेश में स्थित बिलासपुर गाँव में हुआ था। एक जीवंत सांस्कृतिक परिवेश में पले-बढ़े, उन्होंने साहित्य के प्रति गहरा प्रेम और देशभक्ति की प्रबल भावना विकसित की। पारंपरिक भारतीय मूल्यों को बनाए रखने वाले परिवार में उनकी परवरिश ने जीवन के प्रति उनके शुरुआती दृष्टिकोण को काफी प्रभावित किया। छोटी उम्र से ही, नवीन ने कविता के प्रति जुनून दिखाया, अपने परिवेश और अपने युग की राजनीतिक उथल-पुथल से प्रेरणा लेते हुए।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्हें भारत और पश्चिम के शास्त्रीय और समकालीन दोनों कवियों की रचनाएँ मिलीं। इस शैक्षिक अनुभव ने उनके साहित्यिक प्रयासों के लिए एक मजबूत नींव रखी।
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ व्यक्तिगत जीवन
बालकृष्ण शर्मा नवीन एक विनम्र और ज़मीन से जुड़े व्यक्ति थे। वे सादगी और ईमानदारी को महत्व देते थे, ये गुण उनके निजी और पेशेवर जीवन दोनों में झलकते थे। नवीन अपनी जड़ों से गहराई से जुड़े हुए थे और अक्सर भारत के ग्रामीण परिदृश्य से प्रेरणा लेते थे।
वह शादीशुदा थे और उनका परिवार उनके साहित्यिक और राजनीतिक प्रयासों का समर्थन करता था। अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, नवीन हमेशा अपने प्रियजनों के लिए समय निकालते थे, अपनी जिम्मेदारियों को विनम्रता और समर्पण के साथ संतुलित करते थे।
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का रचनाएँ
काव्य संग्रह:
- कुंकुम
यह कविता संग्रह राष्ट्रीयता और देशप्रेम की भावनाओं से ओतप्रोत है। - रश्मिरेखा
इसमें नवीन जी की कविताओं की गहराई और सुंदरता झलकती है। - मधुर मधुर मेरे दीपक जल
यह काव्य संग्रह उनके भावनात्मक और दार्शनिक पक्ष को उजागर करता है।
नाटक:
- वंशवाद
इस नाटक में समाज में व्याप्त कुरीतियों और अन्याय को उजागर किया गया है। - अनुराग और बलिदान
यह नाटक राष्ट्रभक्ति और त्याग की भावना को प्रदर्शित करता है।
निबंध:
- राष्ट्र निर्माण के पथ पर
यह निबंध संग्रह स्वतंत्र भारत के निर्माण और उसकी चुनौतियों पर आधारित है।
पत्रकारिता:
बालकृष्ण शर्मा नवीन ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने ‘कर्मवीर’ और ‘हंस’ जैसी पत्रिकाओं में संपादन कार्य किया और अपने लेखों से जन-जागरण का कार्य किया।
उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में उनकी अमूल्य धरोहर के रूप में मानी जाती हैं।
कवि और लेखक के रूप में करियर
बालकृष्ण शर्मा नवीन हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उभरे, खासकर छायावाद (रोमांटिकवाद) आंदोलन के दौरान। उनकी कविता अपनी गीतात्मक सुंदरता, भावनात्मक तीव्रता और उत्साही राष्ट्रवाद के लिए प्रसिद्ध है। अपने साहित्यिक कौशल के माध्यम से, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की खोज के बीच अपने साथी देशवासियों को प्रेरित करने का प्रयास किया। उनके लेखन में अक्सर भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का सम्मान किया जाता था, साथ ही ब्रिटिश उपनिवेशवाद की तीखी आलोचना भी की जाती थी।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण काव्य कृतियों में “कुमारसंभव” और “उर्वशी” शामिल हैं, जो समकालीन संवेदनाओं के साथ जुड़े शास्त्रीय रूपांकनों पर उनकी महारत को दर्शाती हैं। नवीन की शैली अपनी स्पष्टता और गहरे भावनात्मक प्रभाव के लिए जानी जाती है, जो उनकी कविता को आम जनता के लिए सुलभ बनाती है और साथ ही साहित्यिक कलात्मकता के उच्च स्तर को बनाए रखती है।
कविता के अलावा, नवीन एक कुशल निबंधकार और नाटककार भी थे। उनके निबंधों में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाई गई। उनके योगदान को प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में बड़े पैमाने पर छापा गया, जिसने उन्हें हिंदी साहित्य के परिदृश्य में एक प्रमुख आवाज़ के रूप में स्थापित किया।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
बालकृष्ण शर्मा नवीन हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उभरे, खासकर छायावाद (रोमांटिकवाद) आंदोलन के दौरान। उनकी कविता अपनी गीतात्मक सुंदरता, भावनात्मक तीव्रता और उत्साही राष्ट्रवाद के लिए प्रसिद्ध है। अपने साहित्यिक कौशल के माध्यम से, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की खोज के बीच अपने साथी देशवासियों को प्रेरित करने का प्रयास किया। उनके लेखन में अक्सर भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का सम्मान किया जाता था, साथ ही ब्रिटिश उपनिवेशवाद की तीखी आलोचना भी की जाती थी।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण काव्य कृतियों में “कुमारसंभव” और “उर्वशी” शामिल हैं, जो समकालीन संवेदनाओं के साथ जुड़े शास्त्रीय रूपांकनों पर उनकी महारत को दर्शाती हैं। नवीन की शैली अपनी स्पष्टता और गहरे भावनात्मक प्रभाव के लिए जानी जाती है, जो उनकी कविता को आम जनता के लिए सुलभ बनाती है और साथ ही साहित्यिक कलात्मकता के उच्च स्तर को बनाए रखती है।
कविता के अलावा, नवीन एक कुशल निबंधकार और नाटककार भी थे। उनके निबंधों में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाई गई। उनके योगदान को प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में बड़े पैमाने पर छापा गया, जिसने उन्हें हिंदी साहित्य के परिदृश्य में एक प्रमुख आवाज़ के रूप में स्थापित किया।
पत्रकारिता में योगदान
बालकृष्ण शर्मा नवीन न केवल एक प्रतिष्ठित साहित्यिक हस्ती थे, बल्कि पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण शक्ति थे। विभिन्न राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं के साथ उनकी भागीदारी ने उन्हें ऐसे व्यावहारिक लेख लिखने का मौका दिया, जो सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर केंद्रित थे। अपने पत्रकारिता कार्य के माध्यम से, उन्होंने औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ़ संघर्ष में भारतीय जनता को जागरूक और प्रेरित करने का प्रयास किया।
एक संपादक के रूप में अपनी भूमिका में, नवीन ने सामाजिक प्रगति के उत्प्रेरक के रूप में लिखित शब्द की परिवर्तनकारी क्षमता का समर्थन किया। वह एक लोकतांत्रिक समाज के भीतर एक स्वतंत्र प्रेस की आवश्यकता में दृढ़ विश्वास रखते थे और पत्रकारिता नैतिकता के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए खुद को समर्पित करते थे। उनके लेखन ने अक्सर वंचितों द्वारा सामना किए जाने वाले संघर्षों की ओर ध्यान आकर्षित किया और एक निष्पक्ष और अधिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आवश्यक सुधारों की वकालत की।
राजनीतिक कैरियर
बालकृष्ण शर्मा नवीन 1947 में देश की आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक समर्पित सदस्य के रूप में, उन्होंने नए संप्रभु राष्ट्र के ढांचे को आकार देने में साथी नेताओं के साथ मिलकर काम किया। उनकी राजनीतिक यात्रा उन्हें संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा तक ले गई, जहाँ उन्होंने संस्कृति, शिक्षा और साहित्य पर विशेष ध्यान देते हुए कई राष्ट्रीय चिंताओं पर अपने विचार व्यक्त किए।
अपने पूरे करियर के दौरान, नवीन हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के प्रबल समर्थक थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि एक साझा भाषा भारत की विविध आबादी के बीच एकता की शक्ति के रूप में काम कर सकती है, जिससे सामूहिक राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा मिलेगा। इस उद्देश्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में पहचान दिलाई, जो आधुनिकता की माँगों के साथ भारत की समृद्ध परंपराओं का सामंजस्य स्थापित करने में माहिर थे।
विरासत और सम्मान
बालकृष्ण शर्मा नवीन एक प्रमुख व्यक्ति थे जिनका प्रभाव साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति तक फैला हुआ था, जिसने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया। उनके साहित्यिक योगदान को उनकी कलात्मक योग्यता और देशभक्ति के विषयों के लिए सम्मानित किया जाता है, जिसने पीढ़ियों से अनगिनत व्यक्तियों को प्रेरित किया है। अपने पूरे जीवन में, नवीन को उनके महत्वपूर्ण प्रभाव को स्वीकार करते हुए विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्थानों से कई पुरस्कार और सम्मान मिले।
उनकी विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए उनका समर्पण है, जो सामाजिक और राजनीतिक विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में इसकी भूमिका की वकालत करता है। उनके लेखन को शैक्षिक पाठ्यक्रमों में एकीकृत किया गया है, जिससे उनके विचार और सिद्धांत युवा शिक्षार्थियों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं और भविष्य के दृष्टिकोण को आकार देते रहते हैं।
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ मृत्यु
29 अप्रैल, 1960 को इस दुनिया से विदा हुए बालकृष्ण शर्मा नवीन को साहित्य और भारत के राजनीतिक परिदृश्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है। हिंदी साहित्य पर उनके प्रभाव और देश की आज़ादी की लड़ाई में उनकी भूमिका को उनके नाम पर स्थापित पुरस्कारों और छात्रवृत्तियों सहित कई पहलों के माध्यम से मनाया जाता है।
उनकी विरासत को श्रद्धांजलि देने के लिए, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और साहित्यिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें उनके जीवन और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्हें समर्पित प्रतिमाएँ और स्मारक राष्ट्र पर उनके उल्लेखनीय प्रभाव के स्थायी प्रतीक के रूप में खड़े हैं।
निष्कर्ष
बालकृष्ण शर्मा नवीन एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे, जिनके जीवन ने राष्ट्र को आकार देने में शब्दों और कार्यों की शक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया। एक कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के रूप में, उन्होंने अपने देश और उसके लोगों की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उनकी रचनाएँ पाठकों को प्रेरित करती हैं और उन्हें आधुनिक भारत की नींव रखने वाले बलिदानों और संघर्षों की याद दिलाती हैं।
FAQs: बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय | Balkrishna Sharma Naveen Ka Jeevan Parichay
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन कौन थे?
बालकृष्ण शर्मा नवीन हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता और समाज के प्रति प्रेम का गहरा भाव मिलता है।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन का जन्म कब और कहां हुआ था?
उनका जन्म 8 दिसंबर 1897 को ग्वालियर के पास स्थित भौंती गांव, मध्य प्रदेश में हुआ था।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख रचनाओं में “कुणाल गीत”, “विष केतु”, “विजय गीत” और “उच्छवास” शामिल हैं।
Q. उनकी रचनाओं की विशेषता क्या थी?
उनकी रचनाएं देशभक्ति, ओजस्विता, मानवतावाद और समर्पण से परिपूर्ण थीं। वे छायावादी और राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि थे।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और अपनी कविताओं और लेखन के माध्यम से जनता को जागरूक किया। वे कई बार जेल भी गए।
Q. उनकी शिक्षा कहां हुई?
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। उनकी शिक्षा पर स्वामी दयानंद और आर्य समाज का प्रभाव पड़ा।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उन्हें साहित्य और देशसेवा के क्षेत्र में कई सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें हिंदी साहित्य में योगदान के लिए सराहना प्रमुख है।
Q. उनकी कविताओं में किस प्रकार की शैली का प्रयोग मिलता है?
उनकी कविताओं में ओजस्विता, सरलता और राष्ट्रीयता की भावना प्रबल रूप से दिखाई देती है। वे हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने वाले कवियों में से एक थे।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन का निधन कब हुआ?
उनका निधन 29 अप्रैल 1960 को हुआ।
Q. बालकृष्ण शर्मा नवीन को साहित्य जगत में क्या स्थान प्राप्त है?
उन्हें हिंदी साहित्य के ओजपूर्ण कवियों में से एक माना जाता है। उनकी कविताएं और लेखन आज भी प्रेरणास्रोत हैं।