भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का स्मरणीय संकेत
पूरा नाम | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
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जन्म तिथि | 9 सितम्बर 1850 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश भारत |
माता का नाम | पर्वती देवी |
पिता का नाम | बाबू गोपालचन्द्र |
उपनाम | रासा |
पत्नी का नाम | मन्नो देवी |
पेशा |
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विषय | आधुनिक हिन्दी साहित्य |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा |
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उपाधि | भारतेन्दु |
रचनाएँ |
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गुरु | राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द |
मृत्यु तिथि | 6 जनवरी, 1885 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
और कुछ पढ़े >
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जीवन परिचय
साहित्यिक सेवाएँ(Sahitik Sewaye)
रचनाएँ(Rachnaye)
(1) काव्य-कृतियाँ :-
(2) नाटक :-
(3) उपन्यास :-
(4) यात्रा-वृत्तान्त :-
(भाषा-शैली Bhasha-Shaili)
Frequently Asked Questions About Bharatendu Harishchandra
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र कौन थे?
भारतेंदु हरिश्चंद्र 19वीं सदी के अंत में एक प्रभावशाली हिंदी लेखक, नाटककार और समाज सुधारक थे। उन्हें अक्सर “आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक” कहा जाता है।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म कब हुआ था?
उनका जन्म 9 सितंबर, 1850 को भारत के बनारस (अब वाराणसी) में हुआ था।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र का हिंदी साहित्य में क्या योगदान था?
उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य के विकास और लोकप्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कविता, नाटक, निबंध और उपन्यास सहित विभिन्न शैलियों में बड़े पैमाने पर लिखा।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र की शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्या थी?
भारतेंदु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत और फ़ारसी में प्राप्त की। बाद में उन्होंने अंग्रेजी, बंगाली, उर्दू और मराठी साहित्य का अध्ययन किया।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र की कुछ उल्लेखनीय साहित्यिक कृतियाँ क्या थीं?
उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में नाटक “अंधेर नगरी,” “भारत दुर्दशा,” और “सत्य हरिश्चंद्र” के साथ-साथ कविता संग्रह “हरिश्चंद्र काव्य” और “विलासिनी” शामिल हैं।
Q. हिंदी नवजागरण में भारतेंदु हरिश्चंद्र की क्या भूमिका थी?
वह हिंदी नवजागरण में एक अग्रणी व्यक्ति थे, जिसका उद्देश्य एक साहित्यिक भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देना और हिंदी भाषी लोगों के बीच राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देना था।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र ने सामाजिक सुधार में योगदान दिया?
हाँ, वह महिलाओं की शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह और जाति-आधारित भेदभाव के उन्मूलन की वकालत करते हुए सामाजिक सुधार आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल थे।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र पत्रकारिता से जुड़े थे?
हां, उन्होंने पत्रकारिता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई हिंदी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की स्थापना की, जिनमें “हरिश्चंद्र पत्रिका” और “उदंत मार्तंड” शामिल हैं।
Q. हिंदी साहित्य के प्रति भारतेंदु हरिश्चंद्र का दृष्टिकोण क्या था?
उन्होंने हिंदी साहित्य को सामाजिक सुधार, सांस्कृतिक पुनरुद्धार और राष्ट्रीय एकता के एक उपकरण के रूप में देखा।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र को उनके योगदान के लिए कोई सम्मान या पुरस्कार मिला?
उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान के सम्मान में काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा उन्हें मरणोपरांत “भारतेंदु” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र की राजनीतिक विचारधारा क्या थी?
वह राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार के विचारों से प्रभावित थे, लेकिन उन्होंने खुद को किसी विशेष राजनीतिक दल के साथ नहीं जोड़ा।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे?
हालाँकि उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद के मुद्दे का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने प्रत्यक्ष राजनीतिक सक्रियता के बजाय मुख्य रूप से सांस्कृतिक और सामाजिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया।
Q. भाषा और साहित्यिक शैली के प्रति भारतेंदु हरिश्चंद्र का दृष्टिकोण क्या था?
उन्होंने साहित्य में हिंदी के प्रयोग की वकालत की और एक सरल और सुलभ शैली को बढ़ावा दिया जो व्यापक दर्शकों तक पहुंच सके।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में भी लिखा?
हां, वह कई भाषाओं में पारंगत थे और उन्होंने उर्दू और ब्रज भाषा समेत कई भाषाओं में लिखा था।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र की विरासत क्या थी?
उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य में एक अग्रणी व्यक्ति और हिंदी नवजागरण के प्रमुख वास्तुकार के रूप में याद किया जाता है।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र का कोई परिवार था?
वह एक साहित्यिक परिवार से थे और उनके पिता गोपाल चंद्र भी एक लेखक थे।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में अधिक जानकारी कहां मिल सकती है?
जीवनियाँ, अकादमिक लेख और ऐतिहासिक ग्रंथ उपलब्ध हैं जो उनके जीवन, कार्यों और साहित्य और समाज में योगदान के बारे में बताते हैं।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र के कुछ प्रमुख प्रभाव क्या थे?
वह भारतीय और पश्चिमी दोनों साहित्यिक परंपराओं के साथ-साथ अपने समय के समाज सुधारकों और राष्ट्रवादी विचारकों से प्रभावित थे।
Q. क्या भारतेंदु हरिश्चंद्र के कोई समकालीन थे जो हिंदी साहित्य में भी प्रभावशाली थे?
हाँ, वह हिंदी साहित्य की अन्य उल्लेखनीय हस्तियों, जैसे महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचंद और मैथिली शरण गुप्त के समकालीन थे।
Q. भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाओं का हिंदी साहित्य और समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उनके लेखन ने आधुनिक हिंदी साहित्य को आकार देने में मदद की और सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देने और साहित्यिक भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।