माँ कामाख्या देवी जी का जीवन परिचय – Maa Kamakhya Devi Temple Biography In Hindi – Assam

MaaKamakhya, Devi, Goddess, Tantra, Shakti, Yoni, Fertility, Power, KamakhyaTemple, Assam, Sacred, Devotion, Blessings, Navratri, MotherGoddess, TantricTradition, Pilgrimage, TantricWorship, DivineFeminine, SpiritualEnergy

Maa Kamakhya Devi Temple Biography In Hindi – Assam :
माँ कामाख्या देवी, एक प्रमुख शक्ति पीठ की देवी हैं, जो कामरूप नगर, असम में स्थित हैं। वह तांत्रिक विश्व की प्रमुख देवी मानी जाती हैं और अनंत क्रियाओं और शक्तियों की धारिणी मानी जाती हैं। माँ कामाख्या को तांत्रिक साधना की माँ कहा जाता हैं और उन्हें योनि रूप में पूजा जाता हैं। उनकी मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना के अलावा बहुत सी विशेष पूजा-अर्चना होती हैं।

पद्य किसे कहते हैं ? – Padya Kise Kahte Hain

Poetry, Verse, Meter, Rhyme, Stanza, Poetic Form, Literary Art, Rhythm, Lyricism, Prosody

Padya Kise Kahte Hain
“पद्य” हिंदी और अन्य भारतीय बोलियों में एक शब्द हो सकता है जिसका अर्थ पद्य या छंद होता है। यह कई तरह के अद्भुत रूपों, संरचनाओं और परंपराओं को समाहित करता है।

रतनजी जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय – Ratanji Jamshedji Tata Biography In Hindi

Philanthropist, Indian Industrialist, Tata Group, Tata Trusts, Social Reformer, Education Advocate, Health Reforms, Poverty Alleviatio, Sir Dorabji Tata Trust, Institute of Science, Tata Memorial Hospital, Tata Institute of Social Sciences,

Ratanji Jamshedji Tata Biography In Hindi
सर रतनजी जमशेदजी टाटा भारत के एक प्रसिद्ध व्यवसायी और उदार व्यक्ति थे। उनका जन्म 20 जनवरी, 1871 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। वह जमशेदजी टाटा के दूसरे बेटे थे, जिन्होंने भारत में एक बड़ी और सम्मानित कंपनी टाटा ग्रुप की शुरुआत की थी। टाटा परिवार पारसी समुदाय का हिस्सा था, जो मेहनती होने और भारतीय समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए जाना जाता है।

जमशेद टाटा का जीवन परिचय – Jamshedji Tata Biography In Hindi

Industrialist,Philanthropist,Tata Group,Indian Railways,Tata Steel,Swadeshi Movement,Education,Jamsetji Tata,Innovation,Visionary,Indian,Industry,Tata Institute of Science,Empress Mills,Tata Sons,Taj Mahal Hotel,Nationalism,Modern India,Textile Industry,Mumbai,Legacy

Jamshedji Tata Biography In Hindi
जमशेद नुसरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च, 1839 को भारत के गुजरात राज्य के नवसारी नामक एक छोटे से शहर में हुआ था। जमशेदजी का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था और उन्होंने छोटी उम्र से ही कड़ी मेहनत करना और दूसरों की मदद करना सीखा था।

मुंशी प्रेमचंद्र जी का जीवन परिचय | Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay

मुंशी प्रेमचंद्र जी का जीवन परिचय|Munshi Premchandra Ji Ka Jeevan Parichay,Bhasha Shaili, Bihar Board, Biography In Hindi, Gadya, Indian Writer, Jivan Parichay, Lekhak, MP Board, Munshi Premchandra Biography In Hindi, Munshi Premchandra Jeevan Parichay, Munshi Premchandra Jeevan Parichay hindi me, Munshi Premchandra ka jivani, munshi premchandra ka putri ka anme, Munshi Premchandra ka rachnaye, mushi ji ka jeevan parichay, UP Board, Varanasi —

मुंशी प्रेमचंद्र जी का स्मरणीय संकेत

नाममुंशी प्रेमचंद्र
जन्म31 जुलाई 1880
जन्म स्थानलमही वाराणसी (उ० प्र०)
आयु56 वर्ष 
बचपन का नामधनपत राय श्रीवास्तव
पत्नी का नामशिवरानी देवी
माता का नामआनंदी देवी
पिता का नामअजायब लाल
पुत्र का नामअमृत राय, श्रीपथ राय
पुत्री का नामकमला देवी
भाषा शैलीवर्णनात्मक, भावात्मक, व्यंग्यात्मक, विवेचनात्मक, मनोवैज्ञानिक तथा हास्य-व्यंग्यप्रधान शैली
मुख्य रचनाएँनिर्मला, गबन, कर्बला, मंत्र, बड़े भाई साहब, सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि, गोदान, पूस की रात, प्रेम की वेदी, नमक का दरोगा, मानससरोवर:,रूठी रानी,प्रेमाश्रम, कायाकल्प, प्रतिज्ञा एवं मंगलसूत्र आदि
नागरिकताभारतीय
मृत्यु8 अक्टूबर 1936
मृत्यु स्थानवाराणसी (उ० प्र०)
मुंशी प्रेमचंद्र जी का जीवन परिचय|Munshi Premchandra Ji Ka Jeevan Parichay,Bhasha Shaili, Bihar Board, Biography In Hindi, Gadya, Indian Writer, Jivan Parichay, Lekhak, MP Board, Munshi Premchandra Biography In Hindi, Munshi Premchandra Jeevan Parichay, Munshi Premchandra Jeevan Parichay hindi me, Munshi Premchandra ka jivani, munshi premchandra ka putri ka anme, Munshi Premchandra ka rachnaye, mushi ji ka jeevan parichay, UP Board, Varanasi —

जीवन परिचय – मुंशी प्रेमचंद्र (Munshi Premchand)

                               उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचन्द जी  का जन्म एक गरीब कायस्थ घराने में काशी से चार मील दूर लमही नामक गाँव में 31 जुलाई, 1880 ई० को हुआ था । इनके पिता अजायब राय डाक – मुंशी थे । सात साल की अवस्था में माता का और चौदह वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो गया। घर में यों ही बहुत निर्धनता थी पिता की मृत्यु के पश्चात् इनके सिर पर कठिनाइयों का पहाड़ टूट पड़ा। रोटी कमाने की चिन्ता बहुत जल्दी
इनके सिर पर आ पड़ी। ट्यूशन करके इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। आपका विवाह कम उम्र में हो गया था, जो इनके अनुरूप नहीं था, अतः शिवरानी देवी के साथ दूसरा विवाह किया |
                               स्कूल-मास्टरी की नौकरी करते हुए इन्होंने एफ० ए० और बी० ए० पास किया। स्कूल-मास्टरी के रास्ते पर चलते-चलते सन् 1921 में वह गोरखपुर में स्कूलों के डिप्टी इन्स्पेक्टर बन गये। जब गाँधी जी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफे का बिगुल बजाया तो उसे सुनकर मुंशी  प्रेमचन्द जी ने भी तुरन्त त्याग-पत्र दे दिया। उसके बाद कुछ दिनों तक इन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में अध्यापन किया फिर ‘काशी विद्यापीठ’ में प्रधान अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन करते हुए काशी में प्रेस खोला। सन् 1934-35 में आपने आठ हजार रुपये वार्षिक वेतन पर मुम्बई की एक फिल्म कम्पनी में नौकरी कर ली। जलोदर रोग के कारण 8 अक्टूबर, 1936 ई० को काशी स्थित इनके गाँव में इनका देहावसान हो गया।

साहित्यिक परिचय (Sahityik Parichay)

मुंशी प्रेमचन्द जी में साहित्य-सृजन की जन्मजात प्रतिभा विद्यमान थी। आरम्भ में ‘नवाब राय’ के नाम से उर्दू भाषा में कहानियाँ और उपन्यास लिखते थे । इनकी ‘सोजे वतन’ नामक क्रान्तिकारी रचना ने स्वाधीनता संग्राम ‘ऐसी हलचल मचायी कि अंग्रेज सरकार ने इनकी यह कृति जब्त कर ली। बाद में ‘प्रेमचन्द’ नाम रखकर हिन्दी साहित्य की साधना की और लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ कहानियाँ लिखीं। इसके अतिरिक्त इन्होंने ‘माधुरी’ तथा ‘मर्यादा’ पत्रिकाओं का सम्पादन किया तथा ‘हंस’ व ‘जागरण’ नामक पत्र का प्रकाशन किया। जनता की बात जनता की भाषा में कहकर तथा अपने कथा साहित्य के माध्यम से तत्कालीन निम्न एवं मध्यम वर्ग का सच्चा चित्र प्रस्तुत करके मुंशी प्रेमचन्द जी भारतीयों के हृदय में समा गये। सच्चे अर्थों में ‘कलम के सिपाही’ और जनता के दुःख-दर्द के गायक इस महान् कथाकार को भारतीय साहित्य जगत् में ‘उपन्यास सम्राट्’ की उपाधि से विभूषित किया गया।
Bhasha Shaili, Bihar Board, Biography In Hindi, Gadya, Indian Writer, Jivan Parichay, Lekhak, MP Board, Munshi Premchandra Biography In Hindi, Munshi Premchandra Jeevan Parichay, Munshi Premchandra Jeevan Parichay hindi me, Munshi Premchandra ka jivani, munshi premchandra ka putri ka anme, Munshi Premchandra ka rachnaye, mushi ji ka jeevan parichay, UP Board, Varanasi —

रचनाएँ (Rachnaye)

प्रेमचन्द जी की निम्नलिखित कृतियाँ उल्लेखनीय हैं :-

( 1 ) उपन्यास :

‘कर्मभूमि’, ‘कायाकल्प’, ‘निर्मला’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘वरदान’, ‘सेवासदन’, ‘रंगभूमि’, ‘ग़बन’
और ‘गोदान’ ।

(2) नाटक :

‘कर्बला’, ‘प्रेम की वेदी’, ‘संग्राम’ और ‘रूठी रानी’ ।

( 3 ) जीवन :

चरित–’कलम’, ‘तलवार और त्याग’, ‘दुर्गादास’, ‘महात्मा शेखसादी’ और ‘राम चर्चा’।

( 4 ) निबन्ध संग्रह :

‘कुछ विचार’ ।

( 5 ) सम्पादित :

 ‘ग़ल्प रत्न’ और ‘गल्प – समुच्चय’ ।

( 6 ) अनूदित :

‘अहंकार’, ‘सुखदास’, ‘आजाद-कथा’, ‘चाँदी की डिबिया’, ‘टॉलस्टाय की कहानियाँ’ और ‘सृष्टि का आरम्भ’ ।

( 7 ) कहानी-संग्रह :

 ‘नवनिधि’, ‘ग्राम्य जीवन की कहानियाँ’, ‘प्रेरणा’, ‘कफन’, ‘प्रेम पचीसी’, ‘कुत्ते की कहानी’,
‘प्रेम-प्रसून’, ‘प्रेम-चतुर्थी’, ‘मनमोदक’, ‘मानसरोवर’, ‘समर-यात्रा’, ‘सप्त-सरोज’, ‘अग्नि-समाधि’, ‘प्रेम-गंगा’ और
‘सप्त-सुमन’ ।

भाषा-शैली (Bhasha-Shaili)

मुंशी प्रेमचन्द जी की भाषा के दो रूप हैं- एक रूप तो वह है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है और दूसरा रूप वह है, जिसमें उर्दू, संस्कृत, हिन्दी के व्यावहारिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह भाषा अधिक सजीव, व्यावहारिक और प्रवाहमयी है। इनकी भाषा सहज, सरल, व्यावहारिक, प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार एवं प्रभावशाली है ।  प्रेमचन्द विषय एवं भावों के अनुरूप शैली को परिवर्तित करने में दक्ष थे। इन्होंने अपने साहित्य में प्रमुख रूप से पाँच शैलियों का प्रयोग किया है- (1) वर्णनात्मक, (2) विवेचनात्मक, (3) मनोवैज्ञानिक, (4) हास्य-व्यंग्यप्रधान शैली तथा (5) भावात्मक शैली ।
‘मन्त्र’  मुंशी प्रेमचन्द की एक मर्मस्पर्शी कहानी है, जो उच्च एवं निम्न स्थिति के भेदभाव पर आधारित है जिसमें लेखक ने विरोधी घटनाओं, परिस्थितियों और भावनाओं का चित्रण करके कर्त्तव्य-बोध का मार्ग दिखाया है। पाठक मन्त्र-मुग्ध होकर पूरी कहानी को पढ़ जाता है।
Bhasha Shaili, Bihar Board, Biography In Hindi, Gadya, Indian Writer, Jivan Parichay, Lekhak, MP Board, Munshi Premchandra Biography In Hindi, Munshi Premchandra Jeevan Parichay, Munshi Premchandra Jeevan Parichay hindi me, Munshi Premchandra ka jivani, munshi premchandra ka putri ka anme, Munshi Premchandra ka rachnaye, mushi ji ka jeevan parichay, UP Board, Varanasi —

Frequently Asked Questions (FAQs) Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र बचपन का नाम क्या हैं ?

उ०. धनपत राय श्रीवास्तव

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र  माता का नाम क्या हैं ?

उ०. आनंदी देवी

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र पिता का नाम क्या है ?

उ०. अजायब लाल 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र पत्नी क्या नाम हैं ?

उ०.  शिवरानी देवी 

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र बच्चे का नाम हैं ?

उ०. 1. अमृत राय   2. श्रीपथ राय   3.कमला देवी 

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र की मुख्य रचनाए क्या हैं ?

उ०. निर्मला, गबन, कर्बला, मंत्र, बड़े भाई साहब, सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि, गोदान, पूस की रात, प्रेम की वेदी, नमक का दरोगा, मानससरोवर:,रूठी रानी,प्रेमाश्रम, कायाकल्प, प्रतिज्ञा एवं मंगलसूत्र आदि |

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी का जन्म कब और कहा हुआ था ? 

उ०. 31 जुलाई 1880, लमही वाराणसी (उ० प्र०)

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी का मृत्यु कब और कहां हुआ था ?

उ०.  8 अक्टूबर 1936, वाराणसी (उ० प्र०)

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी का उपन्यास क्या हैं ?

उ०.  ‘कर्मभूमि’, ‘कायाकल्प’, ‘निर्मला’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘वरदान’, ‘सेवासदन’, ‘रंगभूमि’, ‘ग़बन’और ‘गोदान’ ।

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी का निबंध क्या हैं ?

उ०. कुछ विचार’ ।

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी नागरिकता कहा हैं ?

उ०. भारतीय

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र कहानी  क्या हैं ?

उ०.  ‘नवनिधि’, ‘ग्राम्य जीवन की कहानियाँ’, ‘प्रेरणा’, ‘कफन’, ‘प्रेम पचीसी’, ‘कुत्ते की कहानी’,’प्रेम-प्रसून’, ‘प्रेम-चतुर्थी’, ‘मनमोदक’, ‘मानसरोवर’, ‘समर-यात्रा’, ‘सप्त-सरोज’, ‘अग्नि-समाधि’, ‘प्रेम-गंगा’ और’सप्त-सुमन’ ।

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र नाटक क्या हैं ?

उ०.  ‘कर्बला’, ‘प्रेम की वेदी’, ‘संग्राम’ और ‘रूठी रानी’ ।

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र भाषा शैली क्या हैं ?

उ०.  (1) वर्णनात्मक, (2) विवेचनात्मक, (3) मनोवैज्ञानिक, (4) हास्य-व्यंग्यप्रधान शैली तथा (5) भावात्मक शैली ।

प्र०. मुंशी प्रेमचंद्र जी  का जीवन परिचय  क्या हैं ?

उ०. जीवन परिचय के लिए मुख्य पेज पे जाये

FAQs The Biograph

हजारीप्रसाद द्विवेदी K जीवन परिचय – Hazari Prasad Dwivedi Ka Jeevan Parichay

Aachary Hazari Prasad Dwivedi Ka Jeevan Parichay, achary hazariprasad dwivedi ka jivan parichay, Acharya Hazari Prasad, Bihar Board, Biography In Hindi, Dwivedi ji ka jivan Parichay, Gadya, Hazari Prasad Dwivedi ji ka jeevan Parichay, Indian Writer, Jivan Parichay, Lekhak, Varanasi

https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80#:~:text=%E0%A4%86%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%20%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BE,%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में बलिया जिले के ‘दुबे का छपरा’ नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी एवं माता का नाम श्रीमती ज्योतिषमती था ।
Hazari Prasad Dwivedi Ka Jeevan

close