ज्ञानेन्द्रपति का स्मरणीय संकेत
पूरा नाम (Full Name) | ज्ञानेन्द्रपति (Gyanendrapati) |
जन्म तिथि (Date of Birth) | 1 जनवरी, 1950 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | ग्राम पथरगामा, ज़िला गोड्डा, झारखण्ड (भारत) |
आयु (Age) 2025 में | 75 वर्ष |
पिता का नाम ( Father’s Name) | श्री देवेन्द्र प्रसाद चौबे |
माता का नाम (Mother’s Name) | श्रीमती सरला देवी |
शिक्षा (Education) | बी. ए. एम. ए. (अंग्रेजी) एम. ए. (हिन्दी) |
कॉलेज/विश्वविद्यालय (College/University) | पटना विश्वविद्यालय (स्नातकोत्तर) अंग्रेजी भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर (स्नातकोत्तर) हिन्दी |
पेशा (Profession) | कवि |
प्रमुख रचनाएँ (Rachnaye) | गंगातट कवि ने कहा संशयात्मा आँख हाथ बनते हुए एकचक्रानगरी आदि। |
भाषा (Languages) | हिन्दी, भोजपुरी, अंग्रेजी |
पुरस्कार (Awards) | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पहल सम्मान’, ‘बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’। |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
और कुछ पढ़े >
जीवन परिचय – ज्ञानेन्द्रपति (Gyanendrapati)
ज्ञानेंद्रपति का जन्म 1 जनवरी 1950 को झारखंड, भारत के पथरगामा गांव में हुआ था। वे अपनी गहरी और मार्मिक कविताओं के लिए प्रसिद्ध हिंदी कवि हैं। बिहार में लगभग दस साल तक सरकारी अधिकारी के रूप में काम करने के बाद, उन्होंने पूरी तरह से कविता पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और पूर्णकालिक कवि बन गए।
ज्ञानेंद्रपति का शिक्षा
ज्ञानेंद्रपति का शिक्षा घर से ही इण्टर तक पढ़ाई की। ज्ञानेंद्रपति जी पढ़ने में इतना मन लगता था, की स्नातक के लिए पटना विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर वही से बी. ए. और एम. ए. (अंग्रेजी) किया ।उसके मन आया हिन्दी से हम स्नातकोत्तर कर लेना चाहिए | तब फिर से भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर एम. ए. (हिन्दी) से किया हैं।
ज्ञानेंद्रपति का प्रमुख रचनाएँ
1. आँख हाथ बनते हुए (1970)
2. शब्द लिखने के लिए ही यह कागज़ बना है (1981)
3. गंगातट (2000) किताबघर प्रकाशन
4. संशयात्मा (2004) किताबघर प्रकाशन
5. भिनसार (2006)
6. कवि ने कहा (कविता संचयन) किताबघर प्रकाशन
7. मनु को बनती मनई (2013) किताबघर प्रकाशन
ज्ञानेंद्रपति का शैली
ज्ञानेंद्रपति की कविताएँ अपनी सुंदर ध्वनि और गहरे अर्थ के लिए जानी जाती हैं। वह अपने व्यक्तिगत अनुभवों को सामान्य विषयों के साथ कुशलता से जोड़ते हैं जिससे कई लोग जुड़ सकते हैं। उनकी कविताएँ अक्सर प्रकृति, आध्यात्मिकता और मनुष्य होने के अर्थ के साथ एक मजबूत संबंध दिखाती हैं, जो पाठकों को उनके शब्दों के माध्यम से एक विचारशील यात्रा पर ले जाती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
हिंदी साहित्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए ज्ञानेन्द्रपति को कई पुरस्कार प्राप्त हुए:
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (2006): उनके कविता संग्रह “संशयात्मा” के लिए।
- पहल सम्मान
- बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान
- शमशेर सम्मान
व्यक्तिगत जीवन
वर्तमान में ज्ञानेंद्रपति उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहते हैं, जहाँ वे अपनी साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखते हैं। कविता के प्रति उनके समर्पण और उनकी अनूठी आवाज़ ने हिंदी साहित्य जगत के कई उभरते कवियों और लेखकों को प्रेरित किया है
परंपरा
ज्ञानेंद्रपति की रचनाओं में लोगों की भावनाओं और समाज की जटिलताओं के बारे में उनकी गहरी समझ झलकती है। सशक्त छवियों और भावनाओं से भरी उनकी कविता पाठकों को प्रेरित करती है और आधुनिक हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण है।
अगर आप उनकी रचनाएँ पढ़ना चाहते हैं, तो आप किताबघर प्रकाशन सहित विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित कई कविता पुस्तकें पा सकते हैं। उनके लेखन ने हिंदी साहित्य में मूल्य जोड़ा है और मानवीय अनुभवों की गहरी समझ प्रदान की है, जिससे उन्हें साहित्यिक समुदायों में सम्मान मिला है।
संक्षेप में कहें तो ज्ञानेंद्रपति झारखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर एक प्रसिद्ध हिंदी कवि बन गए। उनकी यात्रा उनकी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और लोगों की समझ को दर्शाती है। उनकी कविताएँ आज भी पाठकों से जुड़ती हैं, जीवन, प्रकृति और समाज पर सार्थक विचार प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
ज्ञानेंद्रपति एक प्रसिद्ध कवि और लेखक हैं जिन्होंने आधुनिक हिंदी कविता को बहुत प्रभावित किया है। उनकी कविताओं में जीवन, सामाजिक मुद्दों और भाषा के उपयोग के नए तरीकों के बारे में गहरे विचार दिखाई देते हैं। वे अपने काम में मानव जीवन, सांस्कृतिक इतिहास और आज की समस्याओं के बारे में बात करते हैं। उनका लेखन पुरानी परंपराओं को आधुनिक विचारों के साथ जोड़ता है, जिससे यह सभी उम्र के लोगों के लिए सार्थक हो जाता है। संक्षेप में, ज्ञानेंद्रपति का काम आज भी हिंदी साहित्य को प्रभावित करता है और पाठकों और लेखकों दोनों को प्रेरित करता है। उनकी सशक्त अभिव्यक्ति और अनूठी शैली को साहित्यिक समुदाय में सराहा जाता रहेगा।
Frequently Asked Questions (FAQs) Gyanendrapati Ka Biography In Hindi:
Q. ज्ञानेंद्रपति कौन हैं?
उत्तर: ज्ञानेंद्रपति हिंदी के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार हैं, जिन्हें उनकी मौलिक काव्यशैली और संवेदनशील अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है।
Q. ज्ञानेंद्रपति का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: ज्ञानेंद्रपति का जन्म 1950 में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
Q. ज्ञानेंद्रपति की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ “शहर अब भी संभावना है”, “अंबुज”, और “संस्मरणारंभ” हैं।
Q. ज्ञानेंद्रपति की कविता की विशेषता क्या है?
उत्तर: उनकी कविता में आधुनिकता, शहरी जीवन, संवेदनशीलता और सामाजिक यथार्थ के प्रति गहरी दृष्टि देखी जाती है।
Q. ज्ञानेंद्रपति को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
उत्तर: उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा पुरस्कार, और कई अन्य साहित्यिक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
Q. ज्ञानेंद्रपति की कविता किस प्रकार के विषयों पर केंद्रित होती है?
उत्तर: उनकी कविताएँ शहरी जीवन, प्रकृति, मानवीय संबंधों, और सामाजिक विडंबनाओं को अभिव्यक्त करती हैं।
Q. ज्ञानेंद्रपति की भाषा-शैली कैसी है?
उत्तर: उनकी भाषा सजीव, संवेदनशील और कल्पनाशील होती है, जिसमें बिंबात्मकता और सहज प्रवाह देखने को मिलता है।
Q. क्या ज्ञानेंद्रपति गद्य लेखन भी करते हैं?
उत्तर: मुख्यतः वे कवि हैं, लेकिन उन्होंने साहित्यिक आलेख और निबंध भी लिखे हैं।
Q. ज्ञानेंद्रपति की कविताओं का प्रभाव किन कवियों पर दिखता है?
उत्तर: उनकी कविताओं में आधुनिक हिंदी कविता की प्रमुख धारा का प्रभाव दिखता है और नए कवियों ने उनसे प्रेरणा ली है।
Q. ज्ञानेंद्रपति का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है?
उत्तर: वे हिंदी कविता को आधुनिक चेतना, संवेदनशीलता और गहरी अभिव्यक्ति से समृद्ध करने वाले प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं।