आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी का स्मरणीय संकेत
नाम | आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी |
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बचपन का नाम | वैद्यनाथ द्विवेदी |
जन्म | 19 अगस्त 1907 ई० |
जन्म स्थान | दुबे का छपरा (बलिया),उ० प्र० |
आयु | 72 वर्ष |
पत्नी का नाम | भगवती देवी |
माता का नाम | श्रीमती ज्योतिषमती |
पिता का नाम | पंडित अनमोल द्विवेदी |
भाषा | शुद्ध संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक खड़ी-बोली। |
भाषा शैली |
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मुख्य रचनाएँ |
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नागरिकता | भारतीय |
किस युग के | शुक्लोत्तर-युग |
मृत्यु | 19 मई 1979 ई० |
मृत्यु स्थान | दिल्ली , भारत |
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जीवन परिचय – हजारी प्रसाद द्विवेदी(Hazari Prasad Dwivedi)
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में बलिया जिले के ‘दुबे का छपरा’ नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी एवं माता का नाम श्रीमती ज्योतिषमती था । इनकी शिक्षा का प्रारम्भ संस्कृत से हुआ। इण्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिषतथा साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। सन् 1940 ई० में हिन्दी एवं संस्कृत के अध्यापक के रूप में शान्ति निकेतन चले गये। यहीं इन्हें विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर का सान्निध्य मिला और साहित्य-सृजन की ओर अभिमुख हो गये। सन् 1956 ई० में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यक्ष नियुक्त हुए। कुछ समय तक पंजाब विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। सन् 1949 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें ‘डी०लिट्● ‘ तथा सन् 1957 ई० में भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से विभूषित किया। 19 मई, 1979 ई० को इनका देहावसान हो गया।
साहित्यिक परिचय(Sahityik Parichay)
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी ने बाल्यकाल से ही श्री व्योमकेश शास्त्री से कविता लिखने की कला सीखनी आरम्भ कर दी थी । शान्ति-निकेतन पहुँचकर इनकी प्रतिभा और अधिक निखरने लगी। कवीन्द्र रवीन्द्र का इन पर विशेष प्रभाव पड़ा। बँगला साहित्य से भी ये बहुत प्रभावित थे। ये उच्चकोटि के शोधकर्त्ता, निबन्धकार,उपन्यासकार एवं आलोचक थे। सिद्ध | साहित्य, जैन साहित्य एवं अपभ्रंश साहित्य को प्रकाश में लाकर तथा भक्ति-साहित्य पर उच्चस्तरीय समीक्षात्मक ग्रन्थों की रचना करके इन्होंने हिन्दी साहित्य की महान् सेवा की। वैसे तो द्विवेदी जी ने अनेक विषयों पर उत्कृष्ट कोटि के निबन्धों एवं नवीन शैली पर आधारित उपन्यासों की रचना की है, पर विशेष रूप से वैयक्तिक एवं भावात्मक निबन्धों की रचना करने में ये अद्वितीय रहे। द्विवेदी जी ‘उत्तर प्रदेश ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष और ‘हिन्दी संस्थान’ के उपाध्यक्ष भी रहे। कबीर पर उत्कृष्ट आलोचनात्मक कार्य करने के कारण इन्हें ‘मंगलाप्रसाद’ पारितोषिक प्राप्त हुआ। इसके साथ ही ‘सूर-साहित्य’ पर ‘इन्दौर साहित्य समिति’ ने ‘स्वर्ण पदक’ प्रदान किया ।
रचनाएँ(Rachnaye)
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं :-
निबन्ध(Nibandh)
‘विचार और वितर्क’, ‘कल्पना’, ‘अशोक के फूल’, ‘कुटज’, ‘साहित्य के साथी’, ‘कल्पलता’, ‘विचार प्रवाह’, ‘आलोक पर्व’ आदि । उपन्यास- ‘पुनर्नवा’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘चारु चन्द्रलेख’, ‘अनामदास का पोथा’ आदि।
आलोचना साहित्य(Aalochna-Sahitya)
‘हमारी साहित्यिक समस्याएँ’, ‘हिन्दी साहित्य की भूमिका’, ‘साहित्य का साथी’, ‘साहित्य का धर्म’, ‘हिन्दी-साहित्य’, ‘समीक्षा – साहित्य’, ‘नख-दर्पण में हिन्दी – कविता’, ‘साहित्य का मर्म’, ‘भारतीय वाङ्मय’, ‘कालिदास की लालित्य-योजना’ आदि ।
शोध-साहित्य(Shodh-Sahitya)
‘प्राचीन भारत का कला विकास’, ‘नाथ सम्प्रदाय’, ‘मध्यकालीन धर्म साधना’, ‘हिन्दी-साहित्य का आदिकाल’ आदि। अनूदित साहित्य -‘प्रबन्ध चिन्तामणि’, ‘पुरातन-प्रबन्ध-संग्रह’, ‘प्रबन्धकोश’, ‘विश्व परिचय’, ‘मेरा बचपन’, ‘लाल कनेर’ आदि।
सम्पादित साहित्य(Sampadit Sahitya)
‘नाथ-सिद्धों की बानियाँ’, ‘संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो’, ‘सन्देश-रासक’ आदि ।
भाषा- शैली(Bhasha-Shaili)
द्विवेदी जी भाषा के प्रकाण्ड पण्डित थे। संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के साथ-साथ आपने निबन्धों में उर्दू, फारसी, अंग्रेजी एवं देशज शब्दों का भी प्रयोग किया है। इनकी भाषा प्रौढ़ होते हुए भी सरल, संयत तथा बोधगम्य है । मुहावरेदार भाषा का प्रयोग भी इन्होंने किया है। विशेष रूप से इनकी भाषा शुद्ध संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक खड़ीबोली है। इन्होंने अनेक शैलियों का प्रयोग विषयानुसार किया है, जिनमें प्रमुख हैं- गवेषणात्मक शैली, आलोचनात्मक शैली, भावात्मक शैली, हास्य-व्यंग्यात्मक शैली, उद्धरण शैली ।
गुरु नानकदेव में मानवतावादी मूल्यों का सहज सन्निवेश पाने के लिए द्विवेदी जी भाव-पेशल हो गये हैं। प्रस्तुत निबन्ध ‘गुरु नानकदेव’ में निबन्ध की समस्त विशेषताएँ उपस्थित हैं। इस निबन्ध में स्थान-स्थान पर उपमा, रूपक एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग लेखक ने किया है।
Frequent Asked Questions (FAQs) Hazari Prasad Dwivedi Ka Jivan Parichay
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी बचपन का नाम क्या हैं ?
वैद्यनाथ द्विवेदी
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी माता का नाम क्या हैं ?
श्रीमती ज्योतिषमती
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी पिता का नाम क्या है ?
पंडित अनमोल द्विवेदी
Q.आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी पत्नी क्या नाम हैं ?
भगवती देवी
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की मुख्य रचनाए क्या हैं ?
‘कुटज’, ‘साहित्य के साथी’, ‘कल्पलता’, ‘विचार प्रवाह’, सूर – साहित्य’, ‘कबीर’, ‘सूरदास और उनका काव्य’, ‘प्रबन्धकोश’, ‘विश्व परिचय’, ‘मेरा बचपन’, ‘लाल कनेर’ नाथ-सिद्धों की बानियाँ’, ‘संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो’, ‘सन्देश-रासक’ आदि ।
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म कब और कहां हुआ था ?
19 अगस्त 1907 ई० जन्म स्थान- दुबे का छपरा (बलिया),उ० प्र०
Q.आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का मृत्यु कहां हुआ था ?
19 मई 1979 ई० दिल्ली , भारत
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का निबंध क्या हैं ?
‘विचार और वितर्क’, ‘कल्पना’, ‘अशोक के फूल’, ‘कुटज’, ‘साहित्य के साथी’, ‘कल्पलता’, ‘विचार प्रवाह’, ‘आलोक पर्व’ आदि । उपन्यास- ‘पुनर्नवा’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘चारु चन्द्रलेख’, ‘अनामदास का पोथा’ आदि।
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी नागरिकता कहा हैं ?
भारतीय
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी सम्पादित साहित्य क्या हैं ?
‘नाथ-सिद्धों की बानियाँ’, ‘संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो’, ‘सन्देश-रासक’ आदि ।
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी भाषा शैली क्या हैं ?
गवेषणात्मक शैली, आलोचनात्मक शैली, भावात्मक शैली, हास्य-व्यंग्यात्मक शैली, उद्धरण शैली ।
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी शोध-साहित्य क्या हैं ?
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी आलोचना साहित्य क्या हैं ?
Q. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय क्या हैं ?
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