ओमप्रकाश वाल्मीकि का जीवन परिचय | Omprakash Valmiki Ka Jivan Parichay Hindi Me

Written By The Biography Point

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Quick Facts – Omprakash Valmiki

पूरा नामओमप्रकाश वाल्मीकि
जन्म तिथि30 जून, 1950
जन्म स्थान गाॅंव बरला , मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु63 साल
लंबाई (approx)5 फीट 7 इंच ( 170 सेमी)
वजन (approx)71 Kg
पिता का नामश्री छोटनलाल वाल्मीकि
माता का नामश्रीमती मुकुंदी देवी
पत्नी का नामचंदा खैरवाल देवी
शिक्षाएम० ए० (हिन्दी साहित्य)
कॉलेज/विश्वविद्यालय ज्ञात नहीं
पेशालेखक एवं प्रसिद्ध कवि
रचनाऍं• कहानी संग्रह:- सलाम, घुसपैठिए, अम्‍मा एंड अदर स्‍टोरीज, छतरी आदि।
• कविता संग्रह:- सदियों का संताप, बस्स! बहुत हो चुका, अब और नहीं, शब्द झूठ नहीं बोलते, चयनित कविताएँ (डॉ॰ रामचंद्र) आदि।
• नाटक:- दो चेहरे, उसे वीर चक्र मिला था
• आत्मकथा:- जूठन (अनेक भाषाओँ में अनुवाद) आदि।
• आलोचना:- दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र, मुख्यधारा और दलित साहित्य, सफाई देवता आदि।
भाषाहिन्दी, सहज, तथ्यपरक और आवेगमयी
शैलीआत्मकथा
धर्महिन्दू
जातिब्राह्मण
नागरिकताभारतीय
मृत्यु तिथि 17 नवम्बर 2013
मृत्यु स्थान देहरादून उत्तराखंड (भारत)

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रहीम दासरामचंद्र शुक्लमालिक मोहम्मद जायसी
सुमित्रानंदन पंतभारतेन्दु हरिश्चन्द्रमुंशी प्रेमचंद
मीराबाईसुभद्रा कुमारी चौहानसूरदास
रामधारी सिंह ‘दिनकर’इमरान प्रतापगढ़ीरसखान
सूर्यकान्त त्रिपाठीआनंदीप्रसाद श्रीवास्तवजयप्रकाश भारती
मैथिलीशरण गुप्तमहावीर प्रसाद द्विवेदीगोस्वामी तुलसीदास
अमरकांतडॉ० संपूर्णानन्दजयशंकर प्रसाद

जीवन परिचय – ओमप्रकाश वाल्मीकि (Omprakash Valmiki)

ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म 30 जून, 1950 को भारत के उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बरला नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। वे दलित समुदाय से आते हैं, जिसके साथ ऐतिहासिक रूप से अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता था और भारत की जाति व्यवस्था के कारण उन्हें कम शक्ति प्राप्त थी। वाल्मीकि समुदाय में जन्मे, जो परंपरागत रूप से कम वेतन वाली नौकरियों और सफाई के काम से जुड़ा हुआ है, उन्हें अपने शुरुआती जीवन में कई सामाजिक और वित्तीय संघर्षों का सामना करना पड़ा। चूंकि वाल्मीकि जाति के आधार पर बहुत अधिक भेदभाव वाले समाज में पले-बढ़े थे, इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही बहिष्कार और शर्म की भावनाओं का सामना करना पड़ा। इन दर्दनाक अनुभवों ने उनके लेखन को प्रभावित किया।

इन कठिनाइयों के बावजूद, वाल्मीकि ने स्कूल में कड़ी मेहनत की। इस विकल्प ने उन्हें अपने समुदाय के कई लोगों से अलग बना दिया। उनकी शुरुआती शिक्षा चुनौतियों से भरी थी, जिसमें शिक्षकों और साथी छात्रों से अनुचित व्यवहार भी शामिल था। अपनी आत्मकथा में, उन्होंने कई दर्दनाक अनुभवों का जिक्र किया है। उन्हें उच्च जाति के छात्रों से अलग बैठना पड़ा, नीची नौकरी करनी पड़ी और अपनी जाति के कारण अपमान सहना पड़ा। ये अनुभव उनके काम की नींव थे, खासकर जातिगत भेदभाव और सामाजिक अन्याय की उनकी कड़ी आलोचना में।

ओमप्रकाश वाल्मीकि शिक्षा

ओमप्रकाश वाल्मीकि ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने गांव में ही प्राथमिक विद्यालय की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए देहरादून चले गए। वाल्मीकि ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जो उस समय के दलितों के लिए एक प्रभावशाली उपलब्धि थी। उन्होंने एक सरकारी अधिकारी के रूप में काम किया, लेकिन उनका असली जुनून लेखन था।

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हालाँकि वाल्मीकि सार्वजनिक क्षेत्र में काम करते थे, लेकिन उन्हें लेखन और साहित्य से उतना ही लगाव था जितना कि अपनी नौकरी से। कविताएँ, लघु कथाएँ और निबंध लिखकर वे दलित साहित्य में एक महत्वपूर्ण आवाज़ बन गए। उनके लेखन ने उन्हें दलितों के साझा दर्द को साझा करने का मौक़ा दिया और उनकी कहानियाँ भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की आलोचना करती हैं।

ओमप्रकाश वाल्मीकि रचनाऍं

• कहानी संग्रह:- सलाम, घुसपैठिए, अम्‍मा एंड अदर स्‍टोरीज, छतरी आदि।
• कविता संग्रह:- सदियों का संताप, बस्स! बहुत हो चुका, अब और नहीं, शब्द झूठ नहीं बोलते, चयनित कविताएँ (डॉ॰ रामचंद्र) आदि।
• नाटक:- दो चेहरे, उसे वीर चक्र मिला था
• आत्मकथा:- जूठन (अनेक भाषाओँ में अनुवाद) आदि।
• आलोचना:- दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र, मुख्यधारा और दलित साहित्य, सफाई देवता आदि।

ओमप्रकाश वाल्मीकि पुरस्कार सम्मानित

  1. ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, (1993);
  2. ‘परिवेश सम्मान’, (1995);
  3. ‘जयश्री सम्मान’, (1996);
  4. ‘कथाक्रम सम्मान’ (2001);
  5. ‘न्यू इंडिया बुक पुरस्कार’, (2004);
  6. ‘साहित्य भूषण सम्मान’, (2006);
  7. 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, (2007) आदि।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से दलित साहित्य की अग्रणी आवाज़ बनने तक ओमप्रकाश वाल्मीकि की यात्रा उनके लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। उनकी कृतियाँ, विशेष रूप से “जूठन” ने भारतीय साहित्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिसमें जाति-आधारित उत्पीड़न का बेबाक चित्रण किया गया है। वाल्मीकि की विरासत सिर्फ़ साहित्यिक ही नहीं है; यह गहरी सामाजिक और राजनीतिक भी है। उन्होंने अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ़ लड़ने के लिए शब्दों की शक्ति का इस्तेमाल किया और अनगिनत लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। अपने जीवन और कार्यों के ज़रिए, ओमप्रकाश वाल्मीकि भारत में समानता के संघर्ष के प्रतीक और आशा की किरण बने हुए हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs) About Omprakash Valmiki:

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि कौन थे?
ओमप्रकाश वाल्मीकि एक प्रमुख दलित लेखक और कवि थे, जिन्होंने दलित समाज के उत्पीड़न और उनके संघर्षों को अपने साहित्य के माध्यम से प्रकट किया।

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उनका जन्म 30 जून 1950 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में बरला गाँव में हुआ था।

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि की प्रमुख रचनाएँ कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख रचनाओं में “जूठन” (आत्मकथा), “सदियों का संताप”, “घुसपैठिये” और “विपत्ति” शामिल हैं।

Q. वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ का क्या महत्त्व है?
“जूठन” एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और जातिगत भेदभाव का चित्रण किया है।

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि के लेखन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उनका लेखन समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता फैलाना और दलित समाज की वास्तविकता को सामने लाना था।

Q. उन्होंने किस विधा में लेखन किया?
ओमप्रकाश वाल्मीकि ने कविता, आत्मकथा, और कहानी सहित कई विधाओं में लेखन किया।

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि की शिक्षा कहाँ हुई थी?
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में प्राप्त की और फिर उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अन्य स्थानों पर अध्ययन किया।

Q. उनकी मृत्यु कब हुई?
ओमप्रकाश वाल्मीकि का निधन 17 नवंबर 2013 को हुआ।

Q. उनकी रचनाओं का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उनकी रचनाएँ दलित समाज के लिए प्रेरणादायक साबित हुईं और उन्होंने जातिगत भेदभाव के खिलाफ समाज में एक जागरूकता पैदा की।

Q. ओमप्रकाश वाल्मीकि को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उन्हें दलित साहित्य में योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, लेकिन उनके साहित्यिक काम का असली सम्मान समाज में बदलाव लाने के रूप में हुआ।

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