पद्य किसे कहते हैं ?
“पद्य” हिंदी और अन्य भारतीय बोलियों में एक शब्द हो सकता है जिसका अर्थ पद्य या छंद होता है। यह कई तरह के अद्भुत रूपों, संरचनाओं और परंपराओं को समाहित करता है। पद्य या पद्य सदियों से भारतीय लेखन और संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है, इसकी जड़ें प्राचीन लेखन, लोक परंपराओं और शास्त्रीय लेखन में गहराई से समाहित हैं। इस वार्ता में, हम पद्य की अवधारणा, इसके प्रामाणिक विकास, इसके विविध रूपों और संरचनाओं और भारतीय संस्कृति और लेखन में इसकी केंद्रीयता की जांच करेंगे।
पद्य का ऐतिहासिक विकास
पद्य की शुरुआत वैदिक काल (लगभग 1500-500 ईसा पूर्व) से मानी जा सकती है, जहाँ ऋग्वेद, दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात पवित्र लेखन में से एक है, जिसमें मुख्य रूप से गीत और छंद शामिल हैं। ये शुरुआती सुंदर रचनाएँ संस्कृत में रची गई थीं और मूल रूप से धार्मिक प्रकृति की थीं, जिन्हें रीति-रिवाजों के बीच गाया जाता था। ऋग्वेद के छंदों में छंद संरचना और लयबद्ध गुणवत्ता दिखाई देती है, जो पद्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
जैसे-जैसे भारतीय लेखन आगे बढ़ा, कविता के विविध रूप उभरे। संस्कृत में रचित महाभारत और रामायण की गाथाएँ शानदार रचनाएँ हैं, जिनमें व्यापक सुंदर क्षेत्र शामिल हैं। संस्कृत लेखन के शास्त्रीय युग (लगभग 200-1200 ई.) में शास्त्रीय पद्य या काव्य का उत्कर्ष हुआ, जिसमें कथा और भावपूर्ण पद्य दोनों शामिल थे। इस अवधि के दौरान कालिदास, भवभूति और भर्तृहरि जैसे प्रख्यात कलाकारों ने महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएँ निभाईं। कालिदास की रचनाएँ, जैसे “मेघदूत” (बादल वाहक) और “रघुवंश” (रघु की वंशावली), अपनी शानदार सुंदर शैली और विद्वत्तापूर्ण उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं।
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पद्य को उनकी संरचना, कारण और विषयगत सामग्री के आधार पर विभिन्न आकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। भारतीय लेखन में पद्य के कुछ अचूक आकार इस प्रकार हैं:
- श्लोक: यह संस्कृत का एक दोहा है, जिसका इस्तेमाल अक्सर महाकाव्यों में किया जाता है। इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें एक खास तरह का छंद होता है। श्लोक कई शास्त्रीय भारतीय लेखन का आधार हैं।
- दोहा: हिंदी लेखन में प्रसिद्ध, दोहा दो तुकांत पंक्तियों वाला एक दोहा हो सकता है। प्रत्येक पंक्ति में 24 शब्दांश होते हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया जाता है। दोहा अपनी सरलता और सार्थक बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता है। कबीर और रहीम अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- चौपाई: यह आमतौर पर एक चौपाई या चार पंक्तियों का छंद होता है, जिसका इस्तेमाल हिंदी कविता में अक्सर किया जाता है। तुलसीदास का “रामचरितमानस” चौपाइयों से भरा हुआ है।
- ग़ज़ल: अरबी और फ़ारसी छंद से शुरू होकर ग़ज़ल उर्दू लेखन का एक अहम हिस्सा बन गई। ग़ज़ल में तुकांत दोहे और एक छंद होता है, जिसमें हर पंक्ति एक ही मीटर साझा करती है। मिर्ज़ा ग़ालिब और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ सबसे मशहूर ग़ज़ल कलाकारों में से हैं।
- रुबाई: फ़ारसी मूल की एक शैली, रुबाई एक विशेष तुकबंदी वाली चौपाई हो सकती है (AABA)। इसे उमर खय्याम जैसे कलाकारों ने उर्दू कविता में लोकप्रिय बनाया।
- भजन: पद्य रूप में एक श्रद्धापूर्ण गीत, जिसे अक्सर देवताओं और देवी-देवताओं की प्रशंसा में गाया जाता है। भजन हिंदू धार्मिक प्रथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- कविता: हिंदी में कविता के लिए एक आम शब्द, कविता कई तरह के विषयों और संरचनाओं को समाहित कर सकती है। आधुनिक हिंदी कविता में भावपूर्ण से लेकर प्रगतिशील तक कई सुंदर अभिव्यक्तियाँ देखी गई हैं।
विषय और महत्व
भारतीय लेखन में पद्य ने विषयों के एक विशाल समूह को अपनाया है, जो देश की विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और दार्शनिक संरचना को दर्शाता है। कुछ सामान्य विषय इस प्रकार हैं:
- समर्पण (भक्ति): ईश्वर के प्रति समर्पण पर कई अद्भुत रचनाएँ केंद्रित हैं। भक्ति आंदोलन (लगभग 7वीं से 17वीं शताब्दी) ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में भक्ति काव्य का खजाना तैयार किया, जिसकी रचना मीरा बाई, तुलसीदास और सूरदास जैसे संतों ने की।
- प्रकृति: प्रकृति और उसके घटकों का चित्रण पद्य में एक दोहराया जाने वाला विषय है। कलाकार अक्सर भावनाओं और दार्शनिक विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रकृति का उपयोग करते हैं। कालिदास का “ऋतुसंहार” छह ऋतुओं का एक विशिष्ट चित्रण हो सकता है।
- संजोना और भावना: भावनात्मक कविता हमेशा से भारतीय लेखन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। जयदेव द्वारा रचित “गीत गोविंदा” विचारोत्तेजक और श्रद्धापूर्ण कविता की एक प्रसिद्ध रचना है।
- सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी: कविता सामाजिक और राजनीतिक अभिव्यक्ति का भी माध्यम रही है। कबीर जैसे लेखकों की रचनाएँ, जिन्होंने सामाजिक मानदंडों और धार्मिक रूढ़िवादिता को चुनौती दी, अनुकरणीय हैं।
- तर्क और अस्तित्व का सबसे गहरा अर्थ: भारतीय कविता अक्सर दार्शनिक और अलौकिक विषयों में गहराई से उतरती है, वास्तविकता, स्वयं और ब्रह्मांड की प्रकृति जैसी अवधारणाओं की जांच करती है। उपनिषद और भगवद गीता में कई दार्शनिक छंद हैं।
समकालीन समय में पद्य
आधुनिक समय में, पद्य विभिन्न भारतीय बोलियों में विकसित और विकसित हो रहा है। अत्याधुनिक कलाकार पारंपरिक संरचनाओं को आधुनिक विषयों के साथ मिलाकर आकार और पदार्थ के साथ परीक्षण करते हैं। पद्य हथौड़ों, विद्वानों के उत्सवों और ऑनलाइन चरणों ने पद्य में रुचि को बहाल किया है, जिससे यह दर्शकों के एक व्यापक समूह के लिए खुला है। प्रमुख आधुनिक लेखकों में गुलज़ार जैसे नाम शामिल हैं, जिनकी कविता सीमाओं से ऊपर उठकर पाठकों से गहराई से जुड़ती है। आधुनिक युग ने भी कलाकारों के एक नए युग को जन्म दिया है जो सोशल मीडिया पर अपने काम को वितरित करते हैं, जिससे दुनिया भर के दर्शक मिलते हैं।
निष्कर्ष
पद्य या कविता भारतीय लेखन और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और ऊर्जावान दृष्टिकोण है। इसका समृद्ध इतिहास, विविध रूप और महत्वपूर्ण विषय मानवीय भागीदारी की गहराई और जटिलता को दर्शाते हैं। वेदों के प्राचीन स्तोत्रों से लेकर आधुनिक आधुनिक अभिव्यक्तियों तक, पद्य पाठकों को प्रेरित, चुनौती और प्रेरित करना जारी रखता है। कविता की निरंतर पेशकश जीवन के सार को कई भावपूर्ण पंक्तियों में कैद करने की इसकी क्षमता में निहित है, जो समय और स्थान पर गूंजती रहती है।