रहीम दास का जीवन परिचय | Rahim Das Ka Jeevan Parichay

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रहीम दास जी का स्मरणीय संकेत

पूरा नामअब्दुर्रहीम खानखाना
जन्म17 दिसम्बर 1556
जन्म स्थानलाहौर (पाकिस्तान)
माता का नामसुल्ताना बेगम 
पिता का नामबैरम खाँ
पत्नीमह बनू बेगम 
 धर्मइस्लाम (मुस्लिम)
विधा दोहा, कविता 
उपलब्धिअकबर के नवरत्नों में से एक 
रचनाएँरहीम संतसई, श्रृंगार सतसई, रहीम दोहावली एवं मदनाष्टक
भाषाअवधी ब्रजभाषा
नागरिकताभारतीय
मृत्यु01अक्टूबर 1627
मृत्यु स्थान चित्रकूट,  (उ० प्र०)
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Table of Contents

जीवन परिचय – रहीम दास

रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। इनका जन्म सन्‌ 1556 ई0 में लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बैरम खाँ मुगल सम्राट अकबर के संरक्षक थे। किन्हीं कारणोंवश अकबर बैरम खाँ से रुष्ठ हो गया था और उसने बैरम खाँ पर विद्रोह का आरोप लगाकर हज करने के लिएं मक्का भेज दिंया। मार्ग में उसके शत्रु मुबारक खाँ ने उसकी हत्या कर दी। बैरम खाँ की हत्यां के पश्चात्‌ अकबर ने रहीम और उनकी माता को अपने पास बुला लिया और रहीम की शिक्षा की समुचित व्यवस्था की। कम ने हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। इनकीं योग्यता को अकबर ने इन्हें अपने दरबार के नवरलनों में स्थान दिया। ये अपने नाम के अनुरूप अत्यन्त दयालु प्रकृति के थे। होते हुए भी ये श्रीकृष्ण के भक्त थे। अकबर की मृत्यु के पश्चात्‌ जहाँगीर ने इन्हें चित्रकूट में नजरबन्द कर.दिया था केशवदास और गोस्वामी तुलसीदास से इनकी अच्छी मित्रता थी। इनका अन्तिम समय विपत्तियों से घिरा रहा और सन्‌ 1627 ई0 में मृत्यु हो गयी।

साहित्यिक सेवाएँ (Sahityik  Sevaye)

पिता बैरम खाँ अपने युग के एक अच्छे नीतिज्ञ एवं विद्वान्‌ थे, अतः बाल्यकालें से ही रहीम को साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न हो गया था। योग्य-गुरुओं के सम्पर्क में रह कर इनमें अनेक काव्य-गुंणों का विकास हुआ। इन्होंने कई ग्रन्थों का अनुवाद किया तथा ब्रज, अवधी एवं खड़ीबोली में कंविताएँ भी लिखीं। इनेके “न्रीति के दोहें” तो सर्वसाधारण की जिह्ला पर रहते हैं। दैनिक-जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टान्तों के माध्यम से इनका कथन सीधें हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति एवं श्रृंगार की भी सुन्दर व्यंजना -दिखायी देतीं है। इन्होंने अनेक ग्रन्थों का अनुवाद भी किया। 

रचनाएँ (Rachnaye)

रहीम की रचनाएँ इस प्रकार हैं –   रहीम संतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी रहीम रत्नावली एवं बरवै नायिका-भेद-वर्णन। “रहीम संतसई” नीति के दोहों का संकलने ग्रन्थ है। इंसमें लगभग 300 दोहे प्राप्त हुए हैं। ‘मदनाष्टक’ में श्रीकृष्ण और गोपियों की प्रेम सम्बन्धी लीलाओं का ‘सुरस चित्रण किया गया है। ‘रास पंचाध्यायी’ श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर लिखा गया ग्रन्थ है जो अप्राप्य है। ‘बरवै नायिका भेद’ में नायिका भेद का वर्णन बरवै छन्द में किया गया है।

भाषा-शैली (Bhasha-Shaili)

रहीम जनसांधारण में अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं, पर इन्होंने कवित्त, सवैया,  सोरठा तथा बरवै क में ओऔ: सफल काव्य-रचना की है। इन्होंने ब्रज भाषा में अपनी काव्य-रचना की। इनके ब्रज का रूप सरल, स्पेष्ट एवं प्रवाहपूर्ण है। ये कई भाषाओं के जानकार थे, इसलिए इनकी काव्य-भाषा में विभिन्न भाषाओं के शब्दों के प्रयोग भी देखने को मिलते हैं। अवधी में ब्रजभाषा के शब्द तो मिलते ही हैं, पर अवधी के ग्रामीण शब्दों का भीं खुलकर प्रयोग इन्होंने किया है। इन्होंने मुक्तक शैली में काव्य-सृजन किया। इनकी यह शैली अत्यन्त सरस, सरल एवं बोधगम्य है।

FAQs. Q. Rahim Das biography In Hindi – Rahim Das Ji Ka Jeevan Parichay – रहीम दास जी का जीवन परिचय

Frequently Asked Questions :-

Q. रहीम दास  का पूरा नाम क्या था ?

रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था |

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Q. रहीम दास का जन्म कब हुआ था ?

17 दिसम्बर 1556

Q. रहीम दास का जन्म कहा हुआ था ?

लाहौर (पाकिस्थान)

Q. रहीम दास का मृत्यु कब हुआ था ?

01अक्टूबर 1627

Q. रहीम दास का मृत्यु कहा हुआ था ?

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश (भारत) 

Q. रहीम दास जी का माता का नाम क्या था ?

सुल्ताना बेगम 

Q. रहीम दास जी का पिता का नाम क्या था ?

बैरम खाँ

Q. रहीम दास जी का पत्नी का नाम क्या था ?

मह बनू बेगम 

Q. रहीम दास जी का विधा क्या हैं  ?

दोहा एवं कविता
 

Q. रहीम दास जी का साहित्यिक सेवाएँ क्या हैं  ?

पिता बैरम खाँ अपने युग के एक अच्छे नीतिज्ञ एवं विद्वान्‌ थे, अतः बाल्यकालें से ही रहीम को साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न हो गया था। योग्य-गुरुओं के सम्पर्क में रह कर इनमें अनेक काव्य-गुंणों का विकास हुआ। इन्होंने कई ग्रन्थों का अनुवाद किया तथा ब्रज, अवधी एवं खड़ीबोली में कंविताएँ भी लिखीं। इनेके “न्रीति के दोहें” तो सर्वसाधारण की जिह्ला पर रहते हैं। दैनिक-जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टान्तों के माध्यम से इनका कथन सीधें हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति एवं श्रृंगार की भी सुन्दर व्यंजना -दिखायी देतीं है। इन्होंने अनेक ग्रन्थों का अनुवाद भी किया।

Q. रहीम दास जी का रचनाएँ क्या हैं  ?

रहीम की रचनाएँ इस प्रकार हैं –   रहीम संतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी रहीम रत्नावली एवं बरवै नायिका-भेद-वर्णन। “रहीम संतसई” नीति के दोहों का संकलने ग्रन्थ है। इंसमें लगभग 300 दोहे प्राप्त हुए हैं। ‘मदनाष्टक’ में श्रीकृष्ण और गोपियों की प्रेम सम्बन्धी लीलाओं का ‘सुरस चित्रण किया गया है। ‘रास पंचाध्यायी’ श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर लिखा गया ग्रन्थ है जो अप्राप्य है। ‘बरवै नायिका भेद’ में नायिका भेद का वर्णन बरवै छन्द में किया गया है।

Q. रहीम दास जी का भाषा-शैली क्या हैं  ?

रहीम जनसांधारण में अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं, पर इन्होंने कवित्त, सवैया,  सोरठा तथा बरवै क में ओऔ: सफल काव्य-रचना की है। इन्होंने ब्रज भाषा में अपनी काव्य-रचना की। इनके ब्रज का रूप सरल, स्पेष्ट एवं प्रवाहपूर्ण है। ये कई भाषाओं के जानकार थे, इसलिए इनकी काव्य-भाषा में विभिन्न भाषाओं के शब्दों के प्रयोग भी देखने को मिलते हैं। अवधी में ब्रजभाषा के शब्द तो मिलते ही हैं, पर अवधी के ग्रामीण शब्दों का भीं खुलकर प्रयोग इन्होंने किया है। इन्होंने मुक्तक शैली में काव्य-सृजन किया। इनकी यह शैली अत्यन्त सरस, सरल एवं बोधगम्य है। 

Q. रहीम दास जी के  गुरु कौन थे ?

रहीम दास जी गुरु मुल्ला मुहम्मद अमीन थे |

Q. रहीम का अर्थ क्या हैं ?

Ans. सबसे दयालु 

Q. रहीम दास का विशेषता क्या हैं ?

Ans. रहीम दास जी वह बड़ी-बड़ी बाते कहके बडप्पन नहीं दिखाते थे | वे बड़े लोगो के सामने कभी अपना स्वयं की बड़ाई नही बतियाते थे |

Q. रहीम दास जी किसका पूजा करते थे ?

Ans. भागवान निगुण रूप की पूजा करते थे |

Q. रहीम दास जी काव्य के मुख्य विषय क्या हैं ?

Ans. श्रंगार, भक्ति और निति 

Q. रहीम दास जी का जीवन परिचय क्या हैं ?

Ans. मुख्य पृष्ट पर जाये 
 

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